साहित्य समाज का दर्पण है, इतिहास अतीत का उसमें अर्पण हैI साहित्य समाज का दर्पण है, इतिहास अतीत का उसमें अर्पण हैI
आओ कविता लिखें कि कविता - भिड़ जाती है तन्हाई से। आओ कविता लिखें कि कविता - भिड़ जाती है तन्हाई से।
साहित्य के ये अनमोल सितारे हैं प्रासंगिक आज भी कबीर हमारे हैं। साहित्य के ये अनमोल सितारे हैं प्रासंगिक आज भी कबीर हमारे हैं।
साहित्य समाज का दर्पण है, साहित्य ही है अच्छे समाज की नींव। साहित्य समाज का दर्पण है, साहित्य ही है अच्छे समाज की नींव।
सहजता की खोज पर निकले सहजता की खोज पर निकले
खुद भूखा रहकर हमको अन्न दिलाता है उसके पसीने से ये मिट्टी धान खिलाती है ! खुद भूखा रहकर हमको अन्न दिलाता है उसके पसीने से ये मिट्टी धान खिलाती है !